अब पुलिस भी कर रही है शासन की योजनाओं में जनता को जागरूक, कई योजनाओं के क्रियान्वयन में निभाई भूमिका

राजू सिंह/प्रचंड जनता/कौशांबी। वैसे तो पुलिस की कार्यप्रणाली से ज्यादातर लोग डरते है लेकिन सिर्फ ऐसा ही नही है। पुलिस के कई ऐसे कार्य है जो समाज के उत्थान में सहयोगी भूमिका निभाते है। थाना प्रभारी सराय अकिल ने बताया कि शासन के द्वारा 13 अक्टूबर को यह निर्देश दिया गया कि 14 अक्टूबर से मिशन शक्ति फेज 4 के अंतर्गत महिलाओं को जागरूक करने के प्रति अभियान शुरू किया जाए। जिसमे बच्चों को विधि द्वारा प्रदत्त अधिकार एवं महिलाओं व बच्चों से संबंधित निम्नलिखित योजनाओं से संबंधित व्यापक का प्रचार प्रसार के लिए आम जनमानस के बीच जाकर अभियान चला कर उन्हे जागरुक किया जाए।
  • मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना  जैसा की प्रदेश में लिंगानुपात स्थापित करने एवं कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, बालिकाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा को सृदृढ़ करने, एवं बालिकाओं के परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करने एवं बालिका के प्रति आम जन मानस में सकारात्मक सोच  विकसित करने के लिए अभियान चलाकर लोगों को जागरुक किया जाए।
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसा की यह उद्देश्य गिर रहे है उन्हे फिर से सुधार करना एवं बालिकाओं की शिक्षा को प्रोत्साहन देना, बालिका के प्रती आम जन मानस में सकारात्मक सोच विकसित करना है। एवं महिला एवं बाल कल्याण व उपरोक्त योजनाओं की जानकारी आम जनमानस तक पहुंचना है।
  • हक की बात जिलाधिकारी के साथ जैसा की हिंसा से पीड़ित महिलाओं का जिला आधिकारी के साथ संवाद।
  • दुर्गा शक्ति मेगा सेफ्टी वर्कशॉप जैसा की बालिका गृह आवासित  बालिकाओं हेतू सेल्फ डिफेंस प्रशिक्षण कार्यशालाएं तैयार करना।
  • शक्ति कार्यशालाएं जैसा की समस्त जनपदों में कार्य स्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम 2013 अंतर्गत गठित स्थानीय व अंतरिक परिवाद समितियों का होना।
  • युवा शक्ति पुनर्वास कार्यशाला जैसा की ऑफ्टर केयर में शामिल युवाओं के साथ पुनर्वास कार्यशाला का अयोजन करना है।
  • अंडोप्सन वीक सेलिब्रेशन जैसा की प्रदेश में बच्चों विशेष कार एवं बालिकाओ को दत्तक ग्रहण के माध्यम से पुनर्वासित करने हेतू जागरुकता सप्ताह का अयोजन करना।
  • शक्ति संवाद जैसा की मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के अंतर्गत लाभार्थी बच्चो के साथ जिलाधिकारी द्वारा संवाद करना है।
  • मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना जैसा की प्रदेश में कोविड-19 के द्वारा अनाथ हुए बच्चों के भरण, पोषण,चिकित्सा इत्यादि की व्यवस्था हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेष में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल  सेवा योजना प्रारंभ की गई है।
  • उ0प्र0 मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना जैसा की सरकार द्वारा अगस्त, 2021 में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) शुरू की गई है। योजना के अन्तर्गत 18 साल से कम उम्र के ऐसे बच्चे जिन्होंने कोरोना से इतर कारणों से 1 मार्च, 2020 के बाद माता-पिता दोनों या किसी एक को अथवा अभिभावक को खोया है।उनको प्रतिमाह 2500 रुपये की मदद पहुंचाई जा रही है। उक्त श्रेणी में आने वाले 18 से 23 साल के किशोर जो कक्षा 12 की परीक्षा उत्तीर्ण कर राजकीय डिग्री कालेज, विश्वविद्यालय अथवा तकनीकी संस्थान से स्नातक की डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त करना चाह रहे हैं. उन्हें लाभान्वित किया जायेगा। इसके अलावा नीट, जे०ई०ई० व क्लैट जैसे राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले मेधावी छात्रों को 23 वर्ष की आयु पूरी होने या स्नातक शिक्षा अथवा मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थान से डिप्लोमा प्राप्त करने में जो भी पहले हो तक इस योजना का लाभ दिया जायेगा। इस योजना में ऑफलाइन आवेदन हेतु जनपद स्तर पर जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय के माध्यम से आवेदन भरवाये जा सकते हैं।
  • 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन जैसा की किशोर न्याय एवं बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम, 2015
  • (संशोधित 2021 ) की धारा 2 (25) के अन्तर्गत चाइल्ड हेल्पलाइन (सी०एच०एल०) सेवाओं को संकटग्रस्त बच्चों के लिए चौबीस घंटे की आपातकालीन आउटरीच सेवा के रूप में परिभाषित किया गया है। जो उन्हें आपातकालीन या दीर्घकालिक देखभाल और पुनर्वास सेवा से जोड़ती है। 1098'कठिन परिस्थितियों में बच्चों के लिए समर्पित एक राष्ट्रीय टोल फ्री 24x7 हेल्पलाइन नंबर है जो समस्त जनपदों में संचालित है। किशोर न्याय (बालको की देखरेख व संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अनुसार देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे जो बेघर, किसी प्राकृतिक आपदा के शिकार, बाल विवाह, कानून से संघर्षरत बाल तस्करी, एच०आई०वी० / एड्स प्रभावित, दिव्यांग, लापता या घर से भागे हुए बाल वैश्यावृत्ति, बाल-श्रम बाल भिक्षुक या सड़क पर जीवनयापन करने वाले प्रताड़ित या उत्पीडित या शोषित किये गये एवं जिनके माता-पिता या उनमें से कोई एक जेल में हैं, वह आवश्यकता पड़ने पर चाइल्ड हेल्पलाइन से सम्र्पक कर सकते हैं। ऐसे बच्चों को राजकीय बाल गृह (बालक/बालिका) में रखने व उनके भोजन आदि की व्यवस्था विद्यमान है।
  • 181 महिला हेल्पलाईन महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा तथा सामाजिक, आर्थिक सशक्तीकरण हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 181 महिला हेल्पलाईन के रूप में पहल की गयी है। 181 एक टोल फ्री नम्बर है, जो 24x7 कार्य करता है। महिला हेल्पलाईन पर कोई भी महिला एवं बालिका जो विषम परिस्थितियों से ग्रस्त हो अथवा उसको किसी भी अन्य प्रकार की समस्या या आवश्यकता की पूर्ति या सलाह की आवश्यकता हो, टोल फ्री नम्बर पर कॉल कर सहायता प्राप्त कर सकती है। विषम परिस्थिति से ग्रस्त महिला द्वारा कॉल करने पर कॉल सेन्टर की प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा महिला को परामर्श दिया जाता है।
  • वन स्टॉप सेंटर जैसा की इस योजना में हिंसा से पीडित महिलाओं को समस्त आवश्यक सेवायें जैसे पीड़ित महिला को अल्प प्रवास (पॉच दिवस), चिकित्सकीय सहायता, परामर्शी सेवायें, विधिक सहायता एवं पुलिस सहायता इत्यादि एक ही छत के नीचे उपलब्ध करायी जाती है। वर्तमान में प्रदेश के सभी जनपदों में वन स्टाप सेंटर का संचालन किया जा रहा है। वन स्टॉप सेन्टर पर संपर्क करने हेतु जिलाधिकारी कार्यालय, जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय, जिला बाल संरक्षण इकाई, हब फॉर वूमेन इम्पॉवरमेन्ट पर संपर्क किया जा सकता है अथवा 181 महिला हेल्पलाइन या 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है।
  • पति की मृत्यु उपरान्त निराश्रित महिला पेंशन जैसा की इस योजना के अन्तर्गत पात्र लाभार्थियों को रुपये 1000/- प्रतिमाह पेंशन का भुगतान किया जाता है। इस योजना के अन्तर्गत 18 वर्ष से अधिक आयु की ऐसी महिलाएं जो उत्तर प्रदेश की स्थायी निवासी हों व उनके पति की मृत्यु हो चुकी हो तथा उनकी पारिवारिक वार्षिक आय 2 लाख रुपये से अधिक न हो को पात्र लाभार्थियों के रूप में उनके बैंक खाते में हस्तान्तरित की जाती है। इस योजना में आवेदन हेतु यह है वेबसाइट https://sspy-up.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।
  • मिशन वात्सल्य जैसा की यह योजना बच्चों से सम्बन्धित प्रमुख कानूनों यथा- किशोर न्याय बोर्ड बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 (संशोधित 2021), लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (2012) बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 के क्रियान्वयन हेतु दिशा-निर्देश प्रदान करती है। प्रदेश में वर्तमान में मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत बच्चों के अधिकारों के संरक्षण हेतु आधुनिक तकनीक, शिक्षा के बेहतर अवसर, मनोरंजन, चिकित्सा सुविधा, कौशल विकास व रोजगार से लिकेज की उच्च स्तरीय सुविधाओं के साथ बाल देखरेख संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है।योजना के अंर्तगत 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों हेतु बाल देखरेख संस्थाओं एवं विशेषीकृत दत्तक ग्रहण ईकाईयों का भी संचालन किया जा रहा है। योजना में बालकों को स्पॉन्सरशिप, फॉस्टर केयर या आफ्टर केयर के माध्यम से पुनर्वासित करने के प्रावधान है। इस योजना की उप-योजना स्पांसरशिप योजना के अंतर्गत पात्र बच्चों को रुपये 4000/ प्रतिमाह की सहायता करने हेतु ऑफलाइन आवेदन जनपद स्तर पर जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय के माध्यम से भरवाये जा सकते हैं।
  • केन्द्रीय दत्तक ग्रहण अभिकरण (CARA) तथा राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन इकाई (SARA) जैसा की भारत सरकार द्वारा सम्पूर्ण देश में दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को विनियमित किये जाने हेतु केन्द्रीय दत्तक ग्रहण अभिकरण (CARA) की स्थापना की गई है। कानूनी रूप से बच्चों के दत्तक ग्रहण (गोद लेने हेतु कारा द्वारा CARING पोर्टल की स्थापना की गई है। ऑनलाइन आवेदन हेतु वेबसाइट https://cara.wcd.gov.in के माध्यम से आवेदन किये जा  सकते हैं। राज्य स्तर पर दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को विनियमित किये जाने हेतु राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन इकाई (SARA) की स्थापना की गई है, जिसके अंतर्गत जनपदों में विशेषीकृत दत्तक ग्रहण इकाईयाँ (SAA) संचालित की जा रही हैं।
  • निराश्रित महिलाओं हेतु आश्रय सुविधा जैसा की प्रदेश में महिलाओं के आश्रय संरक्षण व पुनर्वास हेतु 9 महिला शरणालय, 1 संरक्षण गृह, 1 मानसिक मंदित महिलाओं हेतु प्रकोष्ठ, 1 राजकीय वृद्ध एवं अशक्त गृह तथा 3 शक्ति सदन का संचालन किया जा रहा है। उपरोक्त के माध्यम से मानव देह व्यापार से पीडित संरक्षण की आवश्यकता वाली सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक आपदाओं द्वारा बेघर, घरेलू हिंसा, पारिवारिक कलह एवं वैश्यालयों या अन्य जगहों पर शोषण से पीड़ित महिलाओं तथा बालिकाओं को आश्रय सहित कौशल विकास तथा समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

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